सावन-भादौ का पर्व: हरितालिका तीज पर उज्जैन में उमड़ी आस्था, विवाहित-अविवाहित महिलाओं ने किया व्रत व पूजन; सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में महिलाओं की भारी भीड़, 24 घंटे होंगे दर्शन!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

सावन-भादौ के पावन माह में पड़ने वाली हरितालिका तीज का उज्जैन में विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पर्व 26 अगस्त को पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। उज्जैन के प्रसिद्ध श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में सोमवार रात 11 बजे पंचामृत पूजन के साथ पूजा-अर्चना का शुभारंभ हुआ, जो मंगलवार रात 12 बजे तक निरंतर जारी रहेगा।

मंदिर परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं, विशेषकर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए तो वहीं अविवाहित युवतियां उत्तम वर की प्राप्ति की इच्छा से पूजा कर रही हैं।

चौरासी महादेवों में विशेष स्थान

श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर उज्जैन नगर के 84 महादेवों में 61वें स्थान पर आता है। यह मंदिर धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि हरितालिका तीज पर यहां किए गए पूजन का विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है। इसी कारण उज्जैन नगर ही नहीं, आसपास के जिलों और राज्यों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं यहां दर्शन के लिए पहुंचती हैं।

व्रत और पूजन की विशेषताएं

हरितालिका तीज पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी पूरे दिन न अन्न ग्रहण करती हैं और न ही जल पीती हैं। पारंपरिक रूप से सुहागिनें सोलह श्रृंगार करती हैं – हाथों में मेहंदी, पैरों में आलता और नए वस्त्र धारण कर शिव-पार्वती की आराधना करती हैं।

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन बालू (रेत) के शिवलिंग का पूजन अत्यंत फलदायी होता है। परंपरा के अनुसार –

  • विवाहित महिलाएं पूर्व दिशा की ओर मुख कर पूजन करती हैं।

  • अविवाहित कन्याएं उत्तर दिशा की ओर मुख कर आराधना करती हैं।

  • सभी कामनाओं की सिद्धि हेतु पूजन पश्चिम दिशा की ओर मुख करके किया जाता है।

मंदिर के पुजारी पं. प्रवीण पंड्या और पं. राजेश पंड्या ने बताया कि इस पर्व पर विशेष कथा वाचन, रात्रि जागरण और शिव-पार्वती विवाह की स्मृति में अनुष्ठान भी होते हैं।

मंदिर 24 घंटे रहेगा खुला

इस अवसर पर श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर 24 घंटे दर्शनार्थियों के लिए खुला रहेगा। मंदिर प्रबंधन ने व्यवस्था को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा और सेवाभावी स्वयंसेवकों की नियुक्ति की है। देश-प्रदेश से आई महिलाएं पूरे दिन यहां दर्शन और कथा श्रवण करेंगी।

माता पार्वती के तप की याद

हरितालिका तीज का पर्व वास्तव में माता पार्वती के कठोर तप की स्मृति में मनाया जाता है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने वर्षों तक कठिन तपस्या कर भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त किया था। उनके इस अटूट संकल्प और समर्पण को ही यह पर्व दर्शाता है। इसी कारण सुहागिनें यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से करती हैं, जबकि अविवाहित युवतियां उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इसे निभाती हैं।

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष हरितालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

आस्था और संकल्प का पर्व

हरितालिका तीज केवल व्रत या परंपरा नहीं है, बल्कि यह स्त्री की श्रद्धा, विश्वास और अटूट संकल्प का प्रतीक है। जैसे माता पार्वती ने कठिन तप कर भगवान शिव को प्राप्त किया, वैसे ही आज भी महिलाएं इस व्रत के माध्यम से अपनी आस्था व्यक्त करती हैं। इस पावन अवसर पर भक्त यही कामना करते हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती हर घर में सुख-शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद बरसाते रहें।

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